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Abstract

चूंकि साहित्य की विविध विधाए भाषा पदों की संवाहिका होती हैं और इसी से साहित्य एवं साहित्यकार के भावों को अच्छे से प्रयुक्त किया जाता है। ममता कालिया भी इसकी अपवाद नहीं है, क्योकि उन्होनें अपनी साहित्य विद्या में भाषा पदों व भाषा शैली का प्रभावी ढ़ंग से निर्वहन किया है। उन्होनें अपनी रचनाओं में अपने मानसिक भावों को भाषा के माध्यम से ही पूर्ण किया है।

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