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Abstract

लार्ड कर्जन (1899-1905) ने 1905 ई. में बंगाल का विभाजन कर दिया। बंगाल के विभाजन का पूरे भारत में विरोध किया। क्योंकि यह विभाजन प्रशासनिक दृष्टि ने न करके साम्प्रदायिकता को ध्यान में रखकर किया गया था। कर्जन ने फूट डालो एवं शासन करो की नीति का पालन करते हुए हिन्दुओं और मुसलमानों को आपस में विभाजित करने के लिये किया। भारतीयों ने बंगाल विभाजन के विरोध में बंग-भंग स्वदेशी आन्दोलन चला दिया। इस आन्दोलन के फलस्वरूप गर्भ दल का उदय हुआ जिसके आन्दोलन के समक्ष अंग्रेजों को झुकना पड़ा और उन्होंने 1911 ई. में बंगाल का विभाजन रद्द कर दिया।

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